आगरा। फ़िल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन बारी थी कुछ और बेहतरीन फिल्मों की सुबह के सेशन में केंद्रीय हिंदी संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ चंद्रकांत त्रिपाठी, जी डी गोयनिका के प्रधानाचार्य श्री पुनीत वशिष्ठ, तपन ग्रुप के सुरेश चंद गर्ग, श्री रतन मुनि जैन के प्रधानाचार्य डॉ अनिल वशिष्ठ, समाजसेवी केशव अग्रवाल फेस्टिवल डायरेक्टर सूरज तिवारी ने दीप प्रज्वलन करके किया.इसके बाद फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी ने बताया की फेस्टिवल शहर में फ़िल्म का माहोल बना रहा हैँ, जिस से लोगों को रोज़गार मिल रहा हैँ।
फ़िर शुरू हुआ फिल्म्स का सफर ओरिसा से आश्रम, ब्राज़ील से जेक एन ईशा, फ्रांस से चक्र पूजा, द लीजेंड ऑफ़ हनुमान मुंबई, मंदिर और नमाज़ मुंबई , बाहुबली मुंबई पर जाकर यव सत्र समाप्त हुआ।
ब्रेक के बाद मुंबई की थैंक यू बेटा, स्विट्ज़रलैंड की थे सेफ, आगरा की साहेब की किताब, कोटा से प्लान क्या हैँ, फ्रांस से बैक तू पोंडिचेरी, बटेश्वर निशिराज, कनाडा से कोणामी, मुंबई से मेरा वोट वापस दो, लाल बत्ती ज़िन्दगी आगरा से, कर्नाटक से नन ऑफ़ हर, जया मुंबई से, लुक अप नोरवे, कलर टैस्ट जर्मनी ने दर्शकों का मन मोह लिया।
आगरा शहर की संस्थाओं एवं शहर के कलाकार वर्ग का खासा रुझान रहा फ़िल्म फेस्टिवल में भाग लेने का और लगातार बड़ी संख्या में आने का।
चाय ने लोगों का धयान आकर्षित किया
फ़िल्म फेस्टिवल में सुबह से शाम तक आने वाले लोगों के लिए चाय की टपरी की फ्री व्यवस्था ने सबका दिल मोहब्बत और लोगों ने खूब चाय पर चर्चा की, कलाकारों का एक वर्ग आता फ़िर दूसरा आता और बातचीत शुरू, जूस शुरू, कुल्हड़ वाली चाय का आनंद फ़िल्म की बातचीत करके लिया।
फेस्टिवल डायरेक्टर सूरज तिवारी ने बताया की कल अंतिम दिन फ़िल्म स्क्रीनिंग के साथ ही शाम को अवार्ड सेरेमनी का आयोजन भी किया जाएगा, जहाँ फिल्मेकारों को पुरस्कृत किया जाएगा।
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