अयोध्या के दिगंबर जैन मंदिर में 2 मार्च से शुरू होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। शुक्रवार को श्री दिगंबर जैन अयोध्या तीर्थ क्षेत्र कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर भेंट कर उन्हें महोत्सव में आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
प्रतिनिधि मंडल की भेंट और औपचारिक चर्चा प्रतिनिधि मंडल में विधायक रामचंद्र यादव, कमेटी के अध्यक्ष पीठाधीश रविंद्र कीर्ति स्वामी, मंत्री डॉ. जीवन प्रकाश जैन, शासन संपर्क संयोजक शुभचंद्र जैन सर्राफ, और संयोजक हिमांशु गर्ग उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गणमान्य सदस्यों का अभिवादन किया और जैन धर्म एवं गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी को लेकर विस्तृत चर्चा की। साथ ही, महोत्सव के पोस्टर का विमोचन कर प्रथम अवलोकन किया।
ज्ञानमती माताजी की दीर्घकालिक तपस्या को मुख्यमंत्री का नमन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस धरती के प्रथम राजा भगवान ऋषभदेव हैं और गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी की दीर्घकालिक तपस्या ने उन्हें एक पवित्र आत्मा बना दिया है। उन्होंने पूज्य माताजी के जन्मस्थान और उनके योगदान को लेकर गहरी श्रद्धा व्यक्त की। मुख्यमंत्री को पूज्य माताजी के आशीर्वाद स्वरूप श्रीफल भी भेंट किया गया।
31 फुट ऊंची भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा और ऐतिहासिक महत्व अयोध्या को भगवान राम की नगरी के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन यह नगरी प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव सहित पाँच तीर्थंकरों की जन्मभूमि भी है। जैन धर्म के कई प्रसिद्ध मंदिरों में रायगंज स्थित भगवान ऋषभदेव दिगंबर जैन मंदिर का परिसर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित 31 फुट ऊँची भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा इस स्थल को 'बड़ी मूर्ति' के नाम से प्रसिद्ध बनाती है।
तीर्थ क्षेत्र का सतत विकास और भावी योजनाएँ बड़ी मूर्ति परिसर का विकास गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से 1993-94 से लगातार हो रहा है। 2025 में यह तीर्थ नए जिन मंदिरों के साथ एक मानद तीर्थ के रूप में विकसित होगा। विशाल मंदिरों के गगनचुंबी शिखर और श्वेत आभा से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होगी।
तीन लोक की अनूठी प्रस्तुति तीर्थ क्षेत्र में जैन धर्म के प्रतीक "तीन लोक" की भव्य संरचना बनाई गई है, जिसकी ऊँचाई 50 फुट है। इस संरचना में मोक्ष, स्वर्गलोक, मध्यलोक एवं नरक लोक का प्रतीकात्मक स्वरूप प्रदर्शित किया गया है। सफेद मकराना संगमरमर से बनी यह अद्वितीय कृति श्रद्धालुओं को जैन धर्म के मर्म को समझने में सहायक होगी।
1008 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा और पंचकल्याणक महोत्सव भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक की 1008 प्रतिमाओं का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 2 से 6 मार्च तक राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा एवं साधना का प्रतिफल है। कार्यक्रम में प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनमती माताजी का मार्गदर्शन एवं तीर्थ के अध्यक्ष पीठाधीश रविंद्र कीर्ति स्वामीजी का निर्देशन प्राप्त हो रहा है।
देशभर से 5000 भक्तों की भागीदारी इस भव्य महोत्सव में देशभर से लगभग 5000 भक्तों के शामिल होने की संभावना है। ये श्रद्धालु पारंपरिक पूजन वस्त्रों में इंद्र और इंद्राणी का स्वरूप धारण कर अनुष्ठान संपन्न करेंगे। प्रतिष्ठाचार्य विजय कुमार जैन, पं. ऋषभसेन जैन उपाध्याय, पं. सतेन्द्र जैन, पं. अकलंक जैन सहित अन्य विद्वानों द्वारा विधिविधान से अनुष्ठान संपन्न होगा।
विशेष सांस्कृतिक आयोजन 4 मार्च को प्रसिद्ध गीतकार-संगीतकार रूपेश जैन द्वारा भव्य संगीत संध्या का आयोजन किया जाएगा, जबकि 5 मार्च को रंगशाला ग्रुप-इंदौर की साधना मादावत द्वारा भारतीय संस्कृति की प्राचीनता पर आधारित प्रेरक नाटिका प्रस्तुत की जाएगी।
इस महोत्सव में देश के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु भाग लेंगे और अयोध्या के इतिहास में यह आयोजन एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है।
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